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बादल फटना क्या है और वो कैसे होता है और क्या इसमें आसमान से झरने की तरह पानी बहता है?By वनिता कासनियां पंजाबबादल फटना:– मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब अचानक किसी स्थान पर भारी वर्षा होती है तो उसे बादल फटना कहते हैं।इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरा गुब्बारा फट जाए तो सारा पानी एक जगह तेजी से नीचे गिरने लगता है, उसी तरह बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें अचानक जमीन पर गिर जाती हैं। इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहा जाता है। अचानक फटने वाले और तेजी से बरसने वाले बादलों को गर्भवती(प्रेगनेट) बादल भी कहा जाता है।qकहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब बहुत अधिक नमी वाले बादल एक ही स्थान पर ठहर जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बादलों का घनत्व बूंदों के भार के साथ बढ़ता है। तभी अचानक तेज बारिश होने लगती है। बादल फटने से 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है।दरअसल, पहाड़ की तलहटी में मौजूद गर्म हवा जब पहाड़ों से टकराती है और ऊपर उठने लगती है तो ऊपर मौजूद बादलों से टकरा जाती है. बादलों में मौजूद पानी के अणुओं के बीच अंतर-आणविक बल कमजोर हो जाता है। इस वजह से हवा के साथ पानी की बूंदें भी ऊपर उठने लगती हैं। ये बूंदें आपस में मिल जाती हैं और बड़ी बूंदों में बदल जाती हैं। वे संघनित हो जाते हैं लेकिन विद्युत बलों के कारण वे बादलों से बाहर नहीं आ पाते हैं। उच्च नमी वाले ऐसे कई बादल एक साथ इकट्ठे हो जाते हैं।पहले ऐसा माना जाता था कि बादल फटने की घटना पहाड़ों पर ही होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की घटना के बाद से ही यह धारणा बदली है. कहा जाता है कि कई बार मैदानी इलाकों में भी ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है, जब बादल फट सकते हैं. बादल के रास्ते में अचानक गर्म हवा का झोंका आने पर भी बादल फट जाते हैं।चित्र स्रोत गूगल से साभार,

बादल फटना क्या है और वो कैसे होता है और क्या इसमें आसमान से झरने की तरह पानी बहता है?

By वनिता कासनियां पंजाब

बादल फटना:– मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब अचानक किसी स्थान पर भारी वर्षा होती है तो उसे बादल फटना कहते हैं।

इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरा गुब्बारा फट जाए तो सारा पानी एक जगह तेजी से नीचे गिरने लगता है, उसी तरह बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें अचानक जमीन पर गिर जाती हैं। इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहा जाता है। अचानक फटने वाले और तेजी से बरसने वाले बादलों को गर्भवती(प्रेगनेट) बादल भी कहा जाता है।q

कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब बहुत अधिक नमी वाले बादल एक ही स्थान पर ठहर जाते हैं। वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। बादलों का घनत्व बूंदों के भार के साथ बढ़ता है। तभी अचानक तेज बारिश होने लगती है। बादल फटने से 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है।

दरअसल, पहाड़ की तलहटी में मौजूद गर्म हवा जब पहाड़ों से टकराती है और ऊपर उठने लगती है तो ऊपर मौजूद बादलों से टकरा जाती है. बादलों में मौजूद पानी के अणुओं के बीच अंतर-आणविक बल कमजोर हो जाता है। इस वजह से हवा के साथ पानी की बूंदें भी ऊपर उठने लगती हैं। ये बूंदें आपस में मिल जाती हैं और बड़ी बूंदों में बदल जाती हैं। वे संघनित हो जाते हैं लेकिन विद्युत बलों के कारण वे बादलों से बाहर नहीं आ पाते हैं। उच्च नमी वाले ऐसे कई बादल एक साथ इकट्ठे हो जाते हैं।

पहले ऐसा माना जाता था कि बादल फटने की घटना पहाड़ों पर ही होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की घटना के बाद से ही यह धारणा बदली है. कहा जाता है कि कई बार मैदानी इलाकों में भी ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है, जब बादल फट सकते हैं. बादल के रास्ते में अचानक गर्म हवा का झोंका आने पर भी बादल फट जाते हैं।

  • चित्र स्रोत गूगल से साभार,

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