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ईश्वर कहाँ रहता है ? By वनिता कासनियां पंजाब ईश्वर कहाँ रहता है ?अस्वीकरण: इस उत्तर में प्रगट किए गए विचारों से कोई भी असहमत हो सकता है।✍️ वैसे यह सवाल आस्तिकों केलिए ही नहीं, नास्तिकों केलिए भी महत्वपूर्ण है।क्योंकि नास्तिक भी तब ही नास्तिक बनते हैं, जब उन्हे ईश्वर के होने का कोई तथ्य यां सबूत नजर नहीं आता। विज्ञान भी हाथ खड़े कर देता है।तो नास्तिक भी उसके पीछे पीछे चलने लगता है।तो आज हम अवश्य बताएंगे कि वो अनंत, वो सत्य कहां रहता है। जिसकी शक्ति से पूरी सृष्टि गतिमान है।अब अगर हम सबसे प्राचीन वेदों और गीता को आधार बनाते हुए, उनके इशारे को समझें, तो सृष्टि यां ब्रह्मांड ऐसे पेड़ के बराबर हैं, जिसकी जड़ें उपर की और हैं और फल फूल नीचे की और हैं।यानी उल्टा।जैसे मनुष्य के शरीर का सहस्त्रार चक्र एक पेड़ की जड़ यां बीज के समान है और मूलाधार चक्र एक फल और फूल के।ऐसे ही ब्रह्मांड रूपी पेड़ में, समूह मनुष्य, जानवर, पेड़ पौधे आदि फल और फूल के रूप में हैं और पेड़ रूपी ब्रह्मांड की जड़ें और बीज उपर की और है, बहुत उपर की और।अब जैसे हम पृथ्वी पर हैं तो इसे भूलोक कहा जाता है। ऐसे ही उपर बढ़ते जाएं तो स्वर्गलोक, फिर तप लोग और अंत यां आदि में सत्यलोक है।यानी अंतरिक्ष से अरबों योजन दूर सत्य लोक है।जिसको ऋग्वेद में ऋतधाम कहा गया है और गीता में परमधाम।यहां पर उस अनंत, अजन्मे, निराकार और सत्य, ईश्वर का वास है। जिस की शक्ति यां प्रकाश से सारा ब्रह्मांड गतिमान है।मनुष्य वहां सिर्फ मोक्ष के बाद, पवित्र आत्मा के रूप में ही जा सकता है।यहां कोई जन्म मृत्यु नहीं है, सिर्फ अमरता है।तो ब्रह्मांड में मनुष्य क्या सभी प्रकार के जीव जंतु, पेड़ उस अनंत की शक्ति से ही चलायमान हैं।अब विज्ञान कहता है कि हम पृथ्वी पर 3 आयाम (Demension) में रह रहे हैं, यानी 3D.जैसे आगे पीछे, दाएं बाएं और उपर नीचे। यानी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई यां गहराई।हम सिर्फ इसके बारे में जानते हैं।पर चौथा आयाम समय भी है।तो विज्ञान भी मानता है कि ब्रह्मांड में10 आयाम हो सकते हैं।वेद 64 आयाम की बात करता हैं।यह आयाम अवश्य हो सकते हैं, पर भूलोक में नहीं, उपर के लोकों में।जिसके बारे विज्ञान ग्रहों, ग्लैक्सियों, वॉर्म होल, ब्लैक होल की बात करता है तो वेद जैसे शास्त्र इन्हे लोक कहते हैं।शायद आज भी विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में बहुत कम जानता है।क्योंकि हमारा ब्रह्मांड आज भी बहुत सारे रहस्य समेटे हुए हैं। जिनसे पर्दा हटना बाकी है।यह यूहीं नहीं चल रहा है। इन्हे कोई ना कोई शक्ति तो अवश्य चला रही है।वहीं शक्ति, जिन्हे अनंत कह लो, अजन्मा कह लो, निराकार कह लो यां सत्य कह लो। जिसे आदि कह लो यां अंत कह लो यां शून्य कह लो।बात एक ही है। वही तो ईश्वर है।बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏चित्र स्रोत:सभी चित्र विषय की स्पष्टता केलिए गूगल इमेजेस के द्वारा लिए गए हैं, आभार सहित। जिनके अधिकार, इनके असल मालिकों के पास पूर्ण सुरक्षित हैं।

ईश्वर कहाँ रहता है ?

अस्वीकरण: इस उत्तर में प्रगट किए गए विचारों से कोई भी असहमत हो सकता है।

✍️ वैसे यह सवाल आस्तिकों केलिए ही नहीं, नास्तिकों केलिए भी महत्वपूर्ण है।

क्योंकि नास्तिक भी तब ही नास्तिक बनते हैं, जब उन्हे ईश्वर के होने का कोई तथ्य यां सबूत नजर नहीं आता। विज्ञान भी हाथ खड़े कर देता है।

तो नास्तिक भी उसके पीछे पीछे चलने लगता है।

तो आज हम अवश्य बताएंगे कि वो अनंत, वो सत्य कहां रहता है। जिसकी शक्ति से पूरी सृष्टि गतिमान है।

अब अगर हम सबसे प्राचीन वेदों और गीता को आधार बनाते हुए, उनके इशारे को समझें, तो सृष्टि यां ब्रह्मांड ऐसे पेड़ के बराबर हैं, जिसकी जड़ें उपर की और हैं और फल फूल नीचे की और हैं।

यानी उल्टा।

जैसे मनुष्य के शरीर का सहस्त्रार चक्र एक पेड़ की जड़ यां बीज के समान है और मूलाधार चक्र एक फल और फूल के।

ऐसे ही ब्रह्मांड रूपी पेड़ में, समूह मनुष्य, जानवर, पेड़ पौधे आदि फल और फूल के रूप में हैं और पेड़ रूपी ब्रह्मांड की जड़ें और बीज उपर की और है, बहुत उपर की और।

अब जैसे हम पृथ्वी पर हैं तो इसे भूलोक कहा जाता है। ऐसे ही उपर बढ़ते जाएं तो स्वर्गलोक, फिर तप लोग और अंत यां आदि में सत्यलोक है।

यानी अंतरिक्ष से अरबों योजन दूर सत्य लोक है।

जिसको ऋग्वेद में ऋतधाम कहा गया है और गीता में परमधाम।

यहां पर उस अनंत, अजन्मे, निराकार और सत्य, ईश्वर का वास है। जिस की शक्ति यां प्रकाश से सारा ब्रह्मांड गतिमान है।

मनुष्य वहां सिर्फ मोक्ष के बाद, पवित्र आत्मा के रूप में ही जा सकता है।

यहां कोई जन्म मृत्यु नहीं है, सिर्फ अमरता है।

तो ब्रह्मांड में मनुष्य क्या सभी प्रकार के जीव जंतु, पेड़ उस अनंत की शक्ति से ही चलायमान हैं।

अब विज्ञान कहता है कि हम पृथ्वी पर 3 आयाम (Demension) में रह रहे हैं, यानी 3D.

जैसे आगे पीछे, दाएं बाएं और उपर नीचे। यानी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई यां गहराई।

हम सिर्फ इसके बारे में जानते हैं।

पर चौथा आयाम समय भी है।

तो विज्ञान भी मानता है कि ब्रह्मांड में10 आयाम हो सकते हैं।

वेद 64 आयाम की बात करता हैं।

यह आयाम अवश्य हो सकते हैं, पर भूलोक में नहीं, उपर के लोकों में।

जिसके बारे विज्ञान ग्रहों, ग्लैक्सियों, वॉर्म होल, ब्लैक होल की बात करता है तो वेद जैसे शास्त्र इन्हे लोक कहते हैं।


शायद आज भी विज्ञान ब्रह्मांड के बारे में बहुत कम जानता है।

क्योंकि हमारा ब्रह्मांड आज भी बहुत सारे रहस्य समेटे हुए हैं। जिनसे पर्दा हटना बाकी है।

यह यूहीं नहीं चल रहा है। इन्हे कोई ना कोई शक्ति तो अवश्य चला रही है।

वहीं शक्ति, जिन्हे अनंत कह लो, अजन्मा कह लो, निराकार कह लो यां सत्य कह लो। जिसे आदि कह लो यां अंत कह लो यां शून्य कह लो।

बात एक ही है। वही तो ईश्वर है।


बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏


चित्र स्रोत:

सभी चित्र विषय की स्पष्टता केलिए गूगल इमेजेस के द्वारा लिए गए हैं, आभार सहित। जिनके अधिकार, इनके असल मालिकों के पास पूर्ण सुरक्षित हैं।

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