पृथ्वी ब्रह्मांड में एक गोल पिंड की तरह है, तो क्या यदि हम इसे खोदकर इसके अंतिम छोड़ तक चले जाते हैं तो क्या हम अंतरिक्ष को देख पायेंगे? क्या ऐसा करना आसान है? By वनिता कासनियां पंजाब? अंतरिक्ष देखने के लिए हमें इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। बस रात में सर ऊपर कर के आसमान देख लीजिए। वही अंतरिक्ष है।नुब्रा घाटी, कश्मीरलेकिन, पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक का गड्ढा (सुरंग) बनाना १२वीं में भौतिकी के एक सवाल की याद दिलाता है। सवाल था:अगर हम पृथ्वी में एक छोर से दूसरे तक एक सुरंग बनाये और फिर उसमें कूदें तो क्या होगा?देखने में लगेगा कि ये प्रश्न बहुत आसान है। एक छोर से कूदेंगे तो दूसरे छोर से निकल आएँगे। क्या ही बड़ी बात है इस प्रश्न में?लेकिन दोस्त भौतिकी में यही बात तो ख़ास है कि कई बार जो हम सोचते हैं वो जरूरी नहीं असल जिंदगी में हो।अगर हम इस प्रश्न के समीकरण हल करें तो पायेंगे कि हम दूसरी छोर से नहीं निकलेंगे बल्कि पृथ्वी के अंदर ही एक छोर से दूसरे छोर का चक्कर लगाते रहेंगे। कभी ऊपर से नीचे तो कभी नीचे से ऊपर। हम इस सरल आवर्त गति (simple harmonic motion) में हमेशा के लिए फँस जायेंगे जब तक कि कोई बाहरी मदद ना मिले।कुछ इस तरह:चल बहुत रहा हूँ लेकिन कहीं पहुँच नहीं रहाअब सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या हम ऐसी कोई सुरंग बना सकते हैं? इसका उत्तर है नहीं। इसके कई कारण हैं।सबसे पहला तो ये कि पृथ्वी के हम जितना अंदर जाते हैं वो उतनी ही गर्म होती जाती है। इसके अन्तर्भाग (कोर) में तो तापमान हज़ारो डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है। ऐसे में ना ही इन्सान ना ही इन्सान की बनाई कोई मशीन इतने ज्यादा तापमान में जा सकती है।दूसरा एक कारण ये भी है कि पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक की सुरंग बनाने में हमें १२,८०० किलोमीटर खुदाई करनी होगी। अब तक की सबसे गहरी सुरंग रूस में कोला अति-गहन वेधन छिद्र है। ये करीब ९ इंच चौड़ा है और १२ किलोमीटर गहरी। लेकिन पृथ्वी के एक छोर से दूसरे के लिए हज़ारों किलोमीटर खुदाई करनी होगी।अब मान लेते हैं कि हम इतनी गहरी खुदाई कर भी लेते हैं किसी तरह। एक सामान्य मनुष्य करीब ४ मीटर वर्ग (मीटर स्क्वायर) का क्षेत्र लेता है (जमीन पर)। और इस क्षेत्र की अगर हम १२,८०० किलोमीटर गहरी सुरंग बनाएंगे तो कुछ आयतन होगा ५,१२,००,००० (५ करोड़ १२ लाख) मीटर घन (मीटर क्यूब)। अब इतनी सारी मिटटी (जिसमें खूब सारा लावा भी है) कहाँ रखी जाएगी? ये भी एक समस्या है।इसलिए ऐसा कर पाना बिलकुल भी आसान नहीं है और फिलहाल तो असंभव है। बाकी अगर आप ऐसा कर पाए तो दूसरे छोर में भी आसमान और अंतरिक्ष देख पाएंगे। इसमें कोई दोराय नहीं है।धन्यवाद !
अंतरिक्ष देखने के लिए हमें इतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। बस रात में सर ऊपर कर के आसमान देख लीजिए। वही अंतरिक्ष है।
नुब्रा घाटी, कश्मीर
लेकिन, पृथ्वी के एक छोर से दूसरे तक का गड्ढा (सुरंग) बनाना १२वीं में भौतिकी के एक सवाल की याद दिलाता है। सवाल था:
- अगर हम पृथ्वी में एक छोर से दूसरे तक एक सुरंग बनाये और फिर उसमें कूदें तो क्या होगा?
देखने में लगेगा कि ये प्रश्न बहुत आसान है। एक छोर से कूदेंगे तो दूसरे छोर से निकल आएँगे। क्या ही बड़ी बात है इस प्रश्न में?
लेकिन दोस्त भौतिकी में यही बात तो ख़ास है कि कई बार जो हम सोचते हैं वो जरूरी नहीं असल जिंदगी में हो।
अगर हम इस प्रश्न के समीकरण हल करें तो पायेंगे कि हम दूसरी छोर से नहीं निकलेंगे बल्कि पृथ्वी के अंदर ही एक छोर से दूसरे छोर का चक्कर लगाते रहेंगे। कभी ऊपर से नीचे तो कभी नीचे से ऊपर। हम इस सरल आवर्त गति (simple harmonic motion) में हमेशा के लिए फँस जायेंगे जब तक कि कोई बाहरी मदद ना मिले।
कुछ इस तरह:
चल बहुत रहा हूँ लेकिन कहीं पहुँच नहीं रहा
अब सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या हम ऐसी कोई सुरंग बना सकते हैं? इसका उत्तर है नहीं। इसके कई कारण हैं।
सबसे पहला तो ये कि पृथ्वी के हम जितना अंदर जाते हैं वो उतनी ही गर्म होती जाती है। इसके अन्तर्भाग (कोर) में तो तापमान हज़ारो डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है। ऐसे में ना ही इन्सान ना ही इन्सान की बनाई कोई मशीन इतने ज्यादा तापमान में जा सकती है।
दूसरा एक कारण ये भी है कि पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक की सुरंग बनाने में हमें १२,८०० किलोमीटर खुदाई करनी होगी। अब तक की सबसे गहरी सुरंग रूस में कोला अति-गहन वेधन छिद्र है। ये करीब ९ इंच चौड़ा है और १२ किलोमीटर गहरी। लेकिन पृथ्वी के एक छोर से दूसरे के लिए हज़ारों किलोमीटर खुदाई करनी होगी।
अब मान लेते हैं कि हम इतनी गहरी खुदाई कर भी लेते हैं किसी तरह। एक सामान्य मनुष्य करीब ४ मीटर वर्ग (मीटर स्क्वायर) का क्षेत्र लेता है (जमीन पर)। और इस क्षेत्र की अगर हम १२,८०० किलोमीटर गहरी सुरंग बनाएंगे तो कुछ आयतन होगा ५,१२,००,००० (५ करोड़ १२ लाख) मीटर घन (मीटर क्यूब)। अब इतनी सारी मिटटी (जिसमें खूब सारा लावा भी है) कहाँ रखी जाएगी? ये भी एक समस्या है।
इसलिए ऐसा कर पाना बिलकुल भी आसान नहीं है और फिलहाल तो असंभव है। बाकी अगर आप ऐसा कर पाए तो दूसरे छोर में भी आसमान और अंतरिक्ष देख पाएंगे। इसमें कोई दोराय नहीं है।
धन्यवाद !
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